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Kavita Kosh से
वर्तनी की एक त्रुटि सुधारी
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यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हेंत तुम्हें करें प्यार
यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
और माथे पर जो बल आते हैं