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बहती है क्या कहीं और भी, ऎसी पावन कल-कल धारा?
: सम्मानित जो सकल विश्व में, महिमा जिनकी बहुत रही है: अमर ग्रन्थ वे सभी हमारे, उपनिषदों का देश यही है।: गाएँगे यश ह्म हम सब इसका, यह है स्वर्णिम देश हमारा,: आगे कौन जगत में हमसे, यह है भारत देश हमारा।
यह है भारत देश हमारा, महारथी कई हुए जहाँ पर,
यह है देश जहाँ पर बनते, सर्वोत्तम सामान सभी थे।
: यह है देश हमारा भारत, पूर्ण ज्ञान का शुभ्र निकेतन,: यह है देश जहाँ पर बरसी, बुद्धदेव की करुणा चेतन,: है महान, अति भव्य पुरातन, गूँजेगा यह गान हमारा,: है क्या हम-सा कोई जग में, यह है भारत देश हमारा।
विघ्नों का दल चढ़ आए तो, उन्हें देख भयभीत न होंगे,
पुण्यभूमि यह भारत माता, जग की हम तो भीख न लेंगे।
: मिसरी-मधु-मेवा-फल सारे, देती हमको सदा यही है,: कदली, चावल, अन्न विविध अरु क्षीर सुधामय लुटा रही है,: आर्य-भूमि उत्कर्षमयी यह, गूँजेगा यह गान हमारा,: कौन करेगा समता इसकी, महिमामय यह देश हमारा।
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