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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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<poem>
1
तुमसे नाराज़ नहीं
तुम बिन गीत कहाँ
तुम सुर का साज़ रही।
2
दिल को भी सी लूँगा
सब तेरे आँसू
अँजुरी से पी लूँगा।
3
कुछ ऐसा कर लूँगा
तेरा दुख दरिया
सीने में भर लूँगा
</poem>
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1
तुमसे नाराज़ नहीं
तुम बिन गीत कहाँ
तुम सुर का साज़ रही।
2
दिल को भी सी लूँगा
सब तेरे आँसू
अँजुरी से पी लूँगा।
3
कुछ ऐसा कर लूँगा
तेरा दुख दरिया
सीने में भर लूँगा
</poem>