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अँजुरी से पी लूँगा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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22:36, 20 मार्च 2021
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<poem>
1
97
तुमसे नाराज़ नहीं
तुम बिन गीत कहाँ
तुम सुर का साज़ रही।
2
98
दिल को भी सी लूँगा
सब तेरे आँसू
'''
अँजुरी से पी लूँगा।
'''
3
99
कुछ ऐसा कर लूँगा
तेरा दुख दरिया
सीने में भर लूँगा
</poem>
वीरबाला
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