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न ये अन्धेरे मुझे निगलते / राजेन्द्र राजन (गीतकार)
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23:33, 16 अप्रैल 2021
जो था बिछड़ना वहाँ बिछड़ते, जहाँ मैं ख़ुद को पुकार लेता
जो पास रहकर भी दूर थे हम, कहीं समर्पण में कुछ कमी थी
तुम अपना चेहरा निखार
लेतीं
लेते
, मैं आईने को सँवार लेता
मैं गीत-ग़ज़लों को गुनगुनाकर, तुम्हारी यादें भुला रहा हूँ
अनिल जनविजय
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