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|रचनाकार= रामकिशोर दाहिया
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हम तो
अंधे घुप्प कुआँ में
अनुमानों की
गणित लगाकर
लट्ठ भाँजते रहे धुआँ में

पूँजीपति
जकड़ते जकड़ा
हम वैभव के
आधिपत्य में
बाँधे भूख
पेट पर कपड़ा

जीत-जीत
जीवन की बाजी
हार रहे कुछ और जुआ में

ट्रेड प्रशिक्षण
टेक्नोलॉजी
खट्टे हैं
अमरूद लोमड़ी
जनता में
बेहद नाराजी

उच्च शिक्षा
दे ऊँचाई
पंचायत
तो छूत-छुआ में

रोजगार के
वे मन्सूबे
बल आजमाए
व्यवसायों में
बने संविदा
जीवन ऊबे

अन्तर कितना
आज नौकरी
मालगुजारी के बँधुआ में

तंत्र प्रशासन
और मीडिया
पहुँच विहीन
नहीं चोटी पर
अधकचरों को
मंच दिया

प्रतिभागी में
प्रतिभा तो है
किन्तु !
पहुँच है नहीं मुआ में

-रामकिशोर दाहिया

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