भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रीति गोविन्दराज
|अनुवादक=कविता भट्ट
|संग्रह=पहाड़ी पर चंदा / कविता भट्ट
{{KKCatHaiku}}
<poem>
1
धूप में खेलें
सतरंगी रस्सी से
वर्षा के बच्चे।
घाम माँ खेन्ना
सतरंगी जूड़ा न
बर्खा का बाळा
2
कालीन बिके
मुँह छिपाए बैठी
कुँए में काई।
दन्ना बिक्यन
मुक लुकैक बैठी
कुआँ-सिंवाळु
3
झूमती जाएँ
चले न सीधी राह
वर्षा की बूँदें।
झुमणी रौदीं
चल्वन न सिध्दि
बर्खै कि बुन्द
4
गगन सोचे
किस आशा से उड़
आया पतंग!
द्यौरु सोचदु
कैं आस न उड़िक
आई प्वतळु
5
पंछी घूमते
पासपोर्ट न वीज़ा
देश -विदेश
पग्छि घुमदा
पासपोर्ट न बीजा
देस-बिदेस
6
स्कूल बस्ते का
भार खूब जानता
श्रमिक पिता।
स्कूल बस्ता कु
भारू खूब जाणदु
बौल्या यु बुबा
7
साँवला रंग
ताने सहती बेटी
रचे रंगोली।
सौंळु च रंग
बोलि सौंदि बेटुली
रचु रंगोलि
8
कैसे उतरूँ
कोमल शिशु तन
सहमी सुई!
कनै उतरौं
कुंगळु बाळि काया
डौरी च सुई
9
कीमो बोतल
कार्टून देख हँसा
कैंसर हारा।
कीमो बोतळ
कार्टून देख हैंसी
कैंसर हारी
10
पद चिह्न से
बर्फ किताब पर
लिखते बच्चे।
खुट्टों-छापौंन
ह्यूँ ई पोथी परैंईँ
लेखदा बाळा
11
पेड़ लजाए
नभ ने ताँक दिए
सफेद फूल।
डाळा सर्मेंन
द्यौरा न टाँक्यल्यन
सपेद फूल
12
हिलाए पूँछ
हैरान पिल्ला सूँघ
बर्फ से दोस्ती!
हल्कौन्दू पूछ
हैराँ कुकुर बच्चा
सूंघी, ह्यूँ दग्ड़ू
-0-
</poem>