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कर जाएँ मुस्कान सँग ,बच्चे बाधा पार।
अगर आपने दे दिया ,मित्र सबल आधार॥
चंचल मन को कब भला, मिलता है ठहराव।
पल में जाकर नापता, अम्बर का फैलाव॥
जिनसे अक़्सर बैठकर, करते हम संवाद।
उनसे होना लाज़मी, थोड़ा वाद-विवाद॥
दिल बैठा दिल थामकर, सुन क़दमों की चाप।
ये नैना पगडंडियाँ, चुपके आये आप॥
दुनिया जंगल-जाल है, पग-पग मिलते शूल।
कर लेता है पार जो, उसके हक़ में फूल॥
देख उसे नज़दीक़ से, सुधि मानव को तोल।
लगते हमें सुहावने, सदा दूर के ढोल॥
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