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04:24, 23 जुलाई 2021 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रेखा राजवंशी
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|संग्रह=
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<poem>
दर्द के माहौल में भी गीत गाते जाइए
रास्ते कितने कठिन हो खिलखिलाते जाइए
हमनशीं कोई मिलेगा और सफ़र कट जाएगा
दिल में यह ख़्वाहिश लिए बस गुनगुनाते जाइए
सीखिए कुछ इस तरह से हार जाने का हुनर
दूसरों की जीत पर भी मुस्कुराते जाइए
चांद तारे ग़र ना हो तो साथ जुगनू लीजिए
रात के लंबे सफर में झिलमिलाते जाइए
बन ना पाए महफ़िलों की रोशनी तो क्या हुआ
झोपड़ी का दीप बनके टिमटिमाते जाइए
</poem>