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राज़े-दिल / रेखा राजवंशी

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<poem>
भूल जाने की बात करते हो
दिल लगाने की बात करते हो‫

पोंछ भी न सके मेरे आँसू
मुस्कुराने की बात करते हो‫ ‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬

हम तो यूँ रात भर नहीं सोए
जाग जाने की बात करते हो‫ ‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬

देख मुझको संभल न पाए तुम
दूर जाने की बात करते हो‫
‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬‬
राज़े दिल अब सभी पे ज़ाहिर है
तुम छिपाने की बात करते हो

वो ज़माना कभी गया ही नहीं
जिस ज़माने को याद करते हो
</poem>