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परछाइयाँ / अर्चना लार्क

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गर्मियों की शाम
माँ एक झपकी में ही नींद पूरी कर लेती हैं
और रसोई घर रसोईघर में बदल जाती हैं
सपने के भीतर सपना चला आता है
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