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चालीस पार प्रेम-1 / कुमार सुरेश

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पर प्रेम
वह तो जब विस्तृत होता है
सारा संसार उसमें समां समा सकता है
यह समय है
प्रेम कि की पीड़ा को जानने का
आग के दरिया से तैर जाने का
प्रेम कि की आरी से तराशे जाकर हीरा बनाने का
प्रेम तो गहना है
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