भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चालीस पार प्रेम-1 / कुमार सुरेश

3 bytes removed, 11:14, 22 सितम्बर 2021
पर प्रेम
वह तो जब विस्तृत होता है
सारा संसार उसमें समां समा सकता है
यह समय है
प्रेम कि की पीड़ा को जानने का
आग के दरिया से तैर जाने का
प्रेम कि की आरी से तराशे जाकर हीरा बनाने का
प्रेम तो गहना है
346
edits