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सदस्य वार्ता:महावीर जोशी पूलासर

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{{Welcome|महावीर जोशी पूलासर|महावीर प्रसाद जोशी पूलासर}}
क्यूँ जी सोरो करै मिनख
परायै घरां गी बाताँ
 
सुण सुण गे
 
जकी बा दुसराँ गै
 
घरां मे होवण लाग री है
 
बा ही तो तेरे घर मे हुवै
 
तुं भींत रै चिप्योड़ो इनै
 
बो भी तो बिने
 
चिप्योड़ो खड़यौ है
 
क्यूँ कोनी सोचे तूं कै
 
भीँता गै भी कान होवै
 
आज तुं सुणसी बिंगी
 
काल बो तेरी सुणसी
 
क्यूँ सरमाँ मरै मिनख
 
मोरियो पगाँ कानी देख गै रोवै
 
*********
 
रचना: महावीर जोशी पुलासर -सरदारशहर
 
== ये केसा संसार है ==
 
 
यॆ कॆसा ससार है,
 
गरीब यहा लाचार है,
 
कुछ लॊगॊ कॆ पास है हीरॆ,
 
कुछ रॊटी बिन बिमार है,
कहतॆ धरती मा सबकी फिर भॆद क्यु बॆसुमार है,
 
ममता तॆरी तु है मा फिर माता क्यु लाचार है,
 
सुनॆ पडॆ है महल यहा फुटपाथॊ पर भरमार है,
 
कुछ बन गयॆ ताज यहा,
 
कुछ दानॆ कॊ मॊहताज है,
 
खुस यहा है पैसॆ सॆ सब,
 
भुखॊ सॆ नाराज है,
 
यॆ कॆसा ससार है,
 
गरीब यहा लाचार है
रचना... महावीर जोशी पूलासर