गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
धुआं गर उठता है दिल से कि जां से उठने दो / निर्मल 'नदीम'
1 byte added
,
09:18, 25 नवम्बर 2021
किसी की ख़ाक ए कफ़ ए पा है कायनात मेरी,
सितारो, छोड़ो मुझे आसमां से उठने दो।
तुम अपने सर पे ये इल्ज़ाम क्यों उठाते हो,
वफ़ा का मुद्दआ मेरी ज़बां से उठने दो।
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,141
edits