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सॉनेट
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सॉनेट-इटेलियन शब्द sonetto का लघु रुप है । यह धनु ्धुन के साथ गायी जाने वाली कविता है। ऐसी छोटी धुन जो मेण्डोलिन या ल्यूट (एक प्रकार का तार वाद्य) पर गायी जाती है। सॉनेट का जन्म कहाँ हुआ, यह कहना अनिश्चित-सा है । पर कुछ शोधकर्त्ताओं का यह मानना है कि सॉनेट ग्रीक epigram (सूक्तियों) से जन्मा होगा, लेकिन इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं किया जाता। प्राचीन काल में epigram का उपयोग एक ही विचार या भाव को अभिव्यक्त करने के लिए होता था । कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड में प्रचलित बैले से पहले भी सॉनेट का अस्तित्त्व रहा है।
सॉनेट का वास्तविक स्वरुप स्वरूप तेरहवीं शती के मध्य में प्रकट हुआ । इस अवधि की कविताएँ इटली के मिलान शहर में संग्रहीत संगृहीत की गयी हैं । सॉनेट जैसी इन कविताओं में लोक बोली का प्रयोग किया गया है । इन्हें इटली के अनेक प्राचीन कवियों ने रचा है ।
तेरहवीं सदी में पूरी दक्षता के साथ फ्रॉ गुइत्तोन (Fra Guittone) ने सॉनेट्स की रचना की जो सॉनेट के प्रणेता माने जाते हैं । इसके बाद इटली के पेट्रार्का (Fra Guittone) ने सॉनेट रचे । इस समय सॉनेट के स्वरुप स्वरूप निर्धारण को लेकर गम्भीर प्रयोग भी किये गये । किन्तु गुइत्तोन के सॉनेट ही आदर्श रुप में प्रस्तुत किये जाते रहे । पेट्रार्का और दान्ते ने गुइत्तोनियन सॉनेट में बदलाव भी किये । बाद में इसे तासो (Tasso) और इटली के अन्यान्य कवियों ने अपनाया और सॉनेट इटली की विरासत बन गया ।