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मौन और शब्द / हरिवंशराय बच्चन

No change in size, 07:08, 27 नवम्बर 2021
<poem>
एक दिन मैंने
मैन मौन में शब्द को धँसाया था
और एक गहरी पीड़ा,
एक गहरे आनंद में,
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