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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category: सेदोका]]
<poem>
158
'''अमृत-सिन्धु'''
'''उमड़ा हृदय में'''
'''छककरके पिया'''
'''जीवन जिया'''
'''शब्द हैं ब्रह्म रूप'''
'''तुम सर्दी की धूप।'''
159
चाहूँ न कभी
धन ,यश , सम्मान
चाहूँ तेरी मुस्कान,
मिटती व्यथा
सुनकर तुम्हारी
मधुर -प्रेमकथा।
160
छा ही जाएगा
जग में उजियारा
ज्योति, प्रेम तुम्हारा,
पलकें गीलीं
चूम व्यथा जो पी ली
रोम- रोम हर्षित।
161
तेरी उदासी
चुभती शूल जैसी
मुझको है रुलाती,
हँस दोगी तो
खिल उठेंगे सारे
चाँद और सितारे
'''(10 दिसम्बर 21)'''

<poem>