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14:32, 28 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेखा राजवंशी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
बेटी ने देश की
मिट्टी उठाई
एक बोतल में रख
सील लगाईं
सूटकेस में रख
साथ अपने लाई
जमी रहें जड़ें
अपनी जगह
विदेश में रहें
देश की तरह
मिट्टी की खुशबू
भर दे खुशहाली
देश से जाएं
तो क्यों जाएं खाली
शायद यह बात
उसके मन आई
देश की मिट्टी
वो साथ अपने आई
</poem>