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रात / रेखा राजवंशी

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|संग्रह=कंगारूओं के देश में / रेखा राजवंशी
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<poem>
कंगारूओं के देश में
खाली-खाली रात
किससे करूँ बात?

सप्ताहांत में
कुछ लोग सो रहे हैं
सामने की यूनिट में
कुछ शराब पीकर
लड़ रहे हैं,
रो रहे हैं ।

दूसरी इमारत में
कुछ जवान लड़के
लगातार संगीत
जोरदार
नाच रहे हैं ।


कुछ लोग
सड़क पर
आ जा रहे हैं
कुछ युवा जोड़े
हाथ में हाथ डाले
जैसे कुछ
गा रहे हैं ।

मेरी उदासी
बढ़ती जा रही है
और अपनों की
याद आ रही है ।
</poem>