मीत तेरे भान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।
1
भरम अब है ही नहीं
जगती की छाया का।
लग रहा प्रज्ञान में हूँ
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।
2
हर दिशा अब गा रही
मांगल्य ध्वनि आ रही।
अनहद से सम्मान में हूँ,
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ।
3
मिलन भी जब ना हुआ।
कैसा विरह यह पिया !