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स्वागत / नाज़िम हिक़मत / सुरेश सलिल
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20:26, 10 मार्च 2022
तुम्हारे लिए वे बिछा रहे हैं शोशलिज़्म-कम्युनिज़्म
और भी बहुत कुछ ।
१० सितम्बर १९६१
''' अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल'''
</poem>
अनिल जनविजय
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