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कवि / संतोष अलेक्स

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उसके हाथ में कलम है
उसमे से उड़ रहे हैं कपोत आकाश की ओर
कलम पहचानता है कवि को 

वह कलम को तलवार सा तैयार करता है
बाजार,समय
इतिहास,जात,धर्म
पीड़ा,अनुभूति
सत्‍ता,जनता
सभी पर नज़र रखते हुए
पूरी तैयारी के साथ उतरता है जंग में

अनाथ होती राइटिंग टेबुल पर
कवि का खून गिरता है
जन्‍म लेती है अंतिम पंक्तियाँ  कविता की …..

</poem>
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