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|रचनाकार= अनिमा दास
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मैं तटीय सुंदरी !अनिंद्य अलकनंदा
अनंत कल्पनाओं की
मैं सुरभि सुगंधा!

स्वप्न मोहिनी, प्रणय निवेदिता
मैं अनन्या अर्पिता
ओढ़ दामिनी, सुरवाहिनी समर्पिता
अस्तमित स्वर्णाभ अरुणा
मैं तटीय सुंदरी ! ललित स्वच्छ वरुणा

अलक- अलक, ज्वार सँवारुँ।
भर अंजन नयन, नित्य अंभ लहर निहारूँ।
कंचन किरच तनु,
कृष्ण सघन दृगंबु, अवनि कणिका
मैं तटीय सुंदरी ! कोमल कुमारिका

अधरों में व्यथाएँ, सिक्त आशाएँ।
तरंगिणी मैं सागर प्रेयसी!
संतृप्त सागरिका ! तिरोहित गगन,
उदधि उपांत, मग्न मुग्धा
मैं तटीय सुंदरी !
अंबुधि अभिसारिका !
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