{{KKCatHaiku}}
<poem>
1
हुड़क उठी
कण्ठ लाइ बिलपैं
सुख- दुख माँ।
9
चले न जाना
रूहै माँहि उतरि
लुकि तू जायौ।
10
ऊषा आएगी
भुरुका आई
रोबिलपि गवनि हैबिलपि गवनिहै
सिला भींजिहै।
11
बीते वसंत
खो गए तुम आनिआकेपावौं पाऊँ मैं कैसे।
सिरै बसंत
हेरा गे तुम आक
पाव्हुँ पावौं कइसे।
12
क्या कुछ करूँ
दुख तोरे मैं हरौं
चैन पावहुँ।
13
माथे की पीर
अंक माँहि लइकै
धरिहौं धीर।
14
आँसू की लिपि
ओ री झीलि! तोहिका
को परसिसि।
17
विरल यहाँ