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09:42, 26 मई 2022
झोंके हवा के-
धौलाधार से आते-
बर्फ़ गबड़ि।बर्फ मिलाके।
झौंकु ब्यारि कै
धौलाधारि ते आवैं
बर्फ मिलाक।बर्फ़ गबड़ि।
3
शान्त है झील
कमल खिले!
अचकै अच्चके मिलै
झील कै छ्वार परि
सरोरू खिलै।
बिर्वा जरहिं
बन केरि आगी माँ
चुप्प चुप्पे बरहिं।
12
कहीं बुराँश!
कहूँ बुराँस!
बसंता आगि आगी लीन्हे
कहूँ परास!
13
सुर्ज का ढाँपै
याकु म्वट म्वाट बदरा
आपहुँ काँपै।
14
चन्ना सोइ गा
भोर की बदरी मामाँ
चन्ना हेरा गा।
18
सइल कै पीठी प
सुर्ज दिखान्ह।
-0-
</poem>