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15:03, 31 मई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिमा दास
|अनुवादक=रश्मि विभा त्रिपाठी
|संग्रह=ऊषा आएगी / रश्मि विभा त्रिपाठी
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<poem>
1
ढलता सूर्य
गिनता रहे पल
शेष वयस।
ढरइ सुर्ज
गनति रहै छिन
सेस उमिर।
2
मधु गीत से
शून्य आकाश गूँजे
रिक्त मन के।
मीठ गौनि स
सून्य अगास गूँजै
खन्हा मन क।
3
रहती स्व में
युवा की संवेदना
वृद्ध– वेदना।
निज माँ रहै
ज्वान कै संवेदना
बूढ़ अहकि।
4
मृदु मृदा– सी
इच्छाएँ प्रामीत– सी
जीर्ण भाषा में।
मीठ माटी स
साधि चन्नर अस
जीर्न भासा माँ।
5
लताएँ सुनो
अस्त कंचन भर
पीड़ाएँ गिनो।
लता सुनहु
अथइ स्वाना भरि
पीरा गनहु।
6
शब्द असंख्य
मायामहल मन
घन– गुंजन।
सब्द अन्गन
मायामहिल मन
घन घुँजब
</ poem>