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1
इन दिनों में
मेरा ही खरापन
हुआ दुश्मन।
ई दिनन माँमोरइ खरापनभा दुसमन।2सिर्फ ये करोअपने ही नाम में मायने भरो। बसि यू करौ आपन नाउँ मैंहाँ अरथ भरौ।3मेरी कहानी अकाल में चिड़ियाखोजती बानी। मोरि कहानीअकाल माँ चिरैयाटोहहि पानी।4दुखियारों कालगा है जमावड़ा मेरे दिल में। दुखारिन कलागि हवै जमौड़ा मोरे जिउ माँ।5पेट के लिए रेलपाँत पे गायखोजती घास। पेट खातिररेलपांत प गाई घास टोहई।6बुनें कालीन फिर भी वह पाएनंगी जमीन। बुनैं गलैचातबहूँ उइ पावैं नंगी जमीन।7पानी की आस पत्थर की नदी सेपागल है क्या। पानी कै आसपाथर कै नदी तेबौरान हौ का? 8पूज- पूजके लक्ष्मी जी कर डालीं गोरी से काली। पर्छि- पर्छि कैलछ्मी जी कइ डारींग्वार ते कारीं।9नारी के लिए आज भी ये दुनियामछलीघर। नारि खातिरअजहूँ ई दुनियाँ मीन कै घर।10उड़ा ले गईविश्वासों के छप्पर घृणा की आँधी। उड़ा लइ गैबिस्वास कै छपराघिर्ना कै आँन्ही।11इतना चाहूँ- बहैं सभी के दुखमेरी आँखों से। इतेक चहौंबहैं सबै कै दुख मोरि आँखीं ते।12झूठी हँसी सेउसके चेहरे की खुली तुर्पन। झूँठ हँसी तेवहिकइ मुख कैसींनि उधिरै।13हे प्रभु !आजमेरे घर फाक़े हैंकोई न आए। ईसुर आजु मोरे घर फाँका ह्वैं कौनौ न आवै। 14सागर नीचेठिकाना खोज रहीथकी चिड़िया। सगरा खाले श्रमित चिरइया ठियाँ ख्वाजइ।15पिंजरा नहींचिङिया को चाहिए पूरा आकाश। पिंजरा नाहीं चिरइया का चही पूर अगास। 16पीठ पे धूप किसके लिए ढोएगाँव किसान। पीठी प घामकेके खातिर ढ्वावै गाँव किसान।17गरीबी बोलेजब तक जियूँगी साथ रहूँगी गरिबी ब्वालै जब लगि जीहउँलगे रइहौं।18रात गुजारें रोटी की चर्चा कर भूख को मारें। रैनि सिराहैं रोटी क चरचा कै भूखि का हनैं।-0- </ poem>