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हमें दें प्राण- फल
शिव- से वृक्ष!
 
2
विटप खड़े
बाँटें मनु को फल
दानी हैं बड़े!
 
3
पेड़ हैं योगी
फल- फूलों की निधि
स्वयं न भोगी।
 
4
प्रजा के ठाठ
कन्दमूल- फल दें
तरु- सम्राट!
 
5
जले न माथ
सर पे धरें हाथ
पेड़ पिता- से!
 
6
बिटिया लता
पेड़ के काँधे चढ़ी
खुश है बड़ी।
 
7
पौधे बच्चों- से
भू- माँ के कलेजे से
चिपके हुए।
 
8
सुनसान में
वृक्ष मौनी बाबा- से
बैठे ध्यान में।
 
9
पतझड़ में
लग रहे अधेड़
सारे ही पेड़।
 
10
पतझड़ में
पेड़ पर्ण को त्याग
लेते वैराग।
 
11
पतझड़ में
'''चँडुला *''' तरुवर
ढली उमर।
 -0-'''* जिसके सर पर बाल बहुुत कम या न हों ।''' 
12
काट दी डाली
तुमने कब व्यथा
पेड़ की पाली?
 
13
पेड़ न होंगे
तो कहाँ बनाएँगे ?
पंछी घरोंदे!!
 
14
अनमने से
लटके तारों पर
पाखी बेघर।
 
15
हाय! न कर
पृथ्वी का गर्भपात
पेड़ों को काट।
 
16
अकुलाए हैं
वन में पक्षी, कीट
उगा कंक्रीट।
 
17
बने भवन
उजाड़कर भू का
हरा आँगन।
 
18
बेदम पड़े!
पेड़ कटा तो पाखी
रोए, उजड़े।
 
19
पेड़ काट के
बनी प्रगति सीढ़ी
चढ़ेगी पीढ़ी!
 
20
चलाए आरी
चढ़ पेड़ों की पीठ
मानव ढीठ!
 
21
भोले वृक्षों की
तू क्रूर बड़ा!
-0-
 
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