Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता भट्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''हुई दुपहरी जीवन की, किन्तु शेष यौवन मेरा।
गीत सुनाना प्रेमराग में, प्रिय! अभिनंदन तेरा।'''

पत्थर से जो ठोकर खाऊँ
लड़खड़ाऊँ या गिर जाऊँ।
बाँह थामकर तू सहलाना
गले लगाना भूल न जाना।

'''तू संग है तो राह सरल है, नहीं तो क्रंदन घेरा।
गीत सुनाना प्रेमराग में, प्रिय! अभिनंदन तेरा।'''

प्यास नहीं मन की बुझती
टीस कोई हिय में उठती।
हिरणी सी व्याकुल फिरती
घोर अरण्यों में ही घिरती।

'''जब तक प्राण संचरित, आओ तुम्हें नमन मेरा।
गीत सुनाना प्रेमराग में, प्रिय! अभिनंदन तेरा।'''
-0-
</poem>