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06:02, 26 जून 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रश्मि विभा त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
<poem>
सबके लिए
हम जितना मरे
वे सब मिले
बस बिष से भरे
यही जीवन
यही भाग्य अपना
अपने लिए
'''सुख, जैसे सपना'''
भटकें हम
रोज बीहड़ बन
कोई नहीं अपना।
-0-
</poem>