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तुलनामुलक हाथ / निर्मलेन्दु गुन / सुलोचना वर्मा
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15:40, 26 जून 2022
मैं आकर पसारता हूँ हाथ, जलभार से नत देह और
आँखों की सामग्री लेकर लौटता हूँ घर, या नहीं भी लौटता हूँ घर,
तुम्हारी चतुर्दिक शून्यता
को
से
भरकर रह जाता हूँ ।
तुम जहाँ भी हाथ रखती हो, जहाँ भी कान से
अनिल जनविजय
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