भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कि किस देश के लिए मैंने
अपने शरीर का यह बलिदान किया है ।
'''मूल बांग्ला से अनुवाद : जयश्री पुरवार'''
</poem>