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{{KKRachna
|रचनाकार=मृत्युंजय कुमार सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ये कौन सी क़ौम है
जो क़यामत के पहले ही क़यामत बुलाती है
ख़ुदा के नाम पर
अपने ख़ुदा का घर जलाती है?
ये कैसी तरबियत
कि ज़िन्दगी से भागकर, छुपकर,
बना दोज़ख जहाँ को दैर के सपने दिखाती है?
सजा कर हाथ में अस्ला
कई मासूम बच्चों के,
वक़र के नाम पर नफ़रत की तरक़ीबें सिखाती है?
जुनूँ कैसा, न जाने कौन सी
दुनिया की हसरत में,
नशेमन अपने ख़्वाबों का लाशों पर बनाती हैं?
ये कौन सी क़ौम है?
</poem>
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|रचनाकार=मृत्युंजय कुमार सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
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ये कौन सी क़ौम है
जो क़यामत के पहले ही क़यामत बुलाती है
ख़ुदा के नाम पर
अपने ख़ुदा का घर जलाती है?
ये कैसी तरबियत
कि ज़िन्दगी से भागकर, छुपकर,
बना दोज़ख जहाँ को दैर के सपने दिखाती है?
सजा कर हाथ में अस्ला
कई मासूम बच्चों के,
वक़र के नाम पर नफ़रत की तरक़ीबें सिखाती है?
जुनूँ कैसा, न जाने कौन सी
दुनिया की हसरत में,
नशेमन अपने ख़्वाबों का लाशों पर बनाती हैं?
ये कौन सी क़ौम है?
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