भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जनम- जनम की साधना, करके सौ -सौ बार।
मिला हमें अनमोल है, तेरा सच्चा प्यार।
208
पीछे छूटे बहुत से , टूटे हैं अनुबन्ध।
और गहन पल पल- हुआ, तुझसे ही सम्बन्ध।
209
सातों जनम बना रहे, तेरा मेरा साथ।
जब तक साँसें थामना , कसकर मेरा हाथ।
210
घुटन भरी है जिंदगी, पल पल टूटीश्वास।
जीवन का सम्बल बने, बस तेरा विश्वास।
211
सभी अँधेरों से लड़े , छोटा-सा उजियार।
उस उजियारे में छुपा , तेरा सच्चा प्यार।
-0-
</poem>