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|रचनाकार=मृदुल कीर्ति}}
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|आगे=प्रथम प्रश्न ब्रह्मानंद वल्ली / भाग २ / प्रश्नोपनिषद तैत्तिरीयोपनिषद / मृदुल कीर्ति|सारणी=प्रश्नोपनिषद तैत्तिरीयोपनिषद / मृदुल कीर्ति
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मम हेतु शुभ हों, इन्द्र, मित्र, वरुण, बृहस्पति, अर्यमा,<br>