भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जितेन्द्र निर्मोही |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जितेन्द्र निर्मोही
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
सामने के डूंगर
पर चढ़ कर देख
बदलियें
नीले पेड़
नदी का चढ़ाव
सड़क
उसके पार
अपना गांव
फिर विचार कर
टटोल तेरी जिंदगानी
वर्षा की फिसलन भरी
जिसे तू
समंदर
समझ रहा है।

'''अनुवाद- किशन ‘प्रणय’'''
</Poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,492
edits