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{{KKRachna
|रचनाकार=हरबिन्दर सिंह गिल
|अनुवादक=
|संग्रह=बचपन / हरबिन्दर सिंह गिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
नादानियां बचपन का ही दूसरा नाम हैं
इसमें कभी-कभी
जीवन का बहुत गहरा अर्थ छुपा होता है।
बचपन के इस खेल-खेल में
जिंदगी के पासे बदल कर रह जाते है।
बचपन उम्र से पहले ही अपना चोला छोड़ जाता है।
और ही नादानियां गंभीरता का रूप ले
व्यक्तित्व को वक्त से पहले ही
परिपक्व बनाकर
जीवन संघर्ष से उतार देती है।
याद रहे, बचपन अगर गलती करे
एक नादानी है।
परंतु मानव इसे दुहराए तो
एक अपराध है।
</poem>
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|रचनाकार=हरबिन्दर सिंह गिल
|अनुवादक=
|संग्रह=बचपन / हरबिन्दर सिंह गिल
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नादानियां बचपन का ही दूसरा नाम हैं
इसमें कभी-कभी
जीवन का बहुत गहरा अर्थ छुपा होता है।
बचपन के इस खेल-खेल में
जिंदगी के पासे बदल कर रह जाते है।
बचपन उम्र से पहले ही अपना चोला छोड़ जाता है।
और ही नादानियां गंभीरता का रूप ले
व्यक्तित्व को वक्त से पहले ही
परिपक्व बनाकर
जीवन संघर्ष से उतार देती है।
याद रहे, बचपन अगर गलती करे
एक नादानी है।
परंतु मानव इसे दुहराए तो
एक अपराध है।
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