भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घर बाबत / नीरज दइया

947 bytes added, 15:22, 27 अक्टूबर 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=पाछो कुण आसी / न...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=पाछो कुण आसी / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthani‎Rachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>ठिकाणो तो बो ई है
घर बो घर कोनी
जिको हो
जीसा !

नांव तो बो ई है
भाई बो भाई कोनी
जिको हो
जीसा !

घर जिण में थे हा जीसा।
भाई जिण में म्हैं हो जीसा।
ठाह ई कोनी पड़ी
कद कांई हुयग्यो।

जून घर नै दाब 'र ऊभो है नुंवो घर।
जीसा! थे बणायो
बो घर अबै कोनी।
भाई कैवै- घर है।
इसै घर बाबत
म्हैं कांई कैवूं जीसा?</Poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,482
edits