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Kavita Kosh से
एक प्रतीक्षालय है
सुबह और शाम के बीच
रोज़ाना संघर्ष होता है।
सर्दी और गर्मी के बीच रहते हैं
और शरद नाम के एक सज्जन
जो अक्सर उनके बीच होने वाले झगड़ों में
मध्यस्थता करते हैं।
प्रतीक्षा अन्तहीन भी हो सकती है
जब रात और दिन के बीच मेल हो जाएगा
और
'''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय'''