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22:35, 2 दिसम्बर 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शशि पाधा
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<poem>
एक समय वो आएगा
जब देख पुरानी तस्वीरें
कोई पेड़ बूझ न पाएगा
पर्वत सजी चट्टानें होंगी
जंगल का कुछ पता नहीं
टूटेंगे सब नीड़ घोंसले
बाग़ -बगीचे, लता नहीं
पुस्तक के इक पन्ने में
कोई पशु खड़ा मुस्काएगा
एक समय वो आएगा।
हो जाएँगे तरुवर बौने
गमले में ही रैन बसेरा
न होगी तब ठंडी छैयाँ
ईंट मीनारें डालें घेरा
पूछेगी धरती बादल से
मीत, बता कब आएगा
एक समय वो आएगा।
ढूँढ खोजके रंग -रूप तब
बच्चे चित्र बनाएँगे
पीपल ,बरगद, देवदार सब
कथा पात्र हो जाएँगे
किसकी क्या परिभाषा होगी
कौन किसे बतलाएगा
एक समय वो आएगा।
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