Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
ख़बर वो नहीं जो दिखायी गयी है
उसे ढूंढिए जो छुपायी गयी है
हक़ीक़त किसी को पता कैसे होगी
कहानी बनाकर सुनायी गयी है
 
दबाकर गला उसको मारा गया था
दुपट्टे में लटकी वो पायी गयी है
 
मगर कौन देगा गवाही बताओ
सरेआम गोली चलायी गयी है
 
बताओ, पुलिस को पता ही नहीं कुछ
कि दलितों की बस्ती जलायी गयी है
 
फटेहाल रहकर भी खुशहाल हों सब
नयी योजना फिर बनायी गयी है
 
जिसे लोग सुन करके हो जांय पागल
वही बात केवल बतायी गयी है
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits