भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
चारण होगा जो तुझको सजदा करता
कवि को कोई रत्ती भर न झुका सकता
सोचो उस कवि की कविता कैसी होगी
दरबारों में जाकर जो कविता पढ़ता
 
किस कवि,लेखक को इतनी दौलत मिलती
शब्दों का वो कोई व्यापारी लगता
 
कवि के घर मंत्री जी स्वयं पधारे कल
हाथों में लेकर फूलों का गुलदस्ता
 
मुस्काकर मंत्री जी , कवि से फ़रमाये
मुझ पर भी तो कुछ कविता -सविता लिखता
 
सारी रात नहीं आयी कल नींद मुझे
बाज़ारों में कवि, इतना सस्ता बिकता
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits