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निरुपम ग्राम पुलासर
रेगिस्तान के
 
रेतीले टीलों के मध्य
 
बसा अनुपम गाँव
 
पुलासर
 
अत्यंत रमणीय,अनुपम
 
और विलक्षण है
 
जहां का सूर्योदय
 
सूर्यवंशियों के
 
तेज के साथ उदय जो होता है
 
मेरे गाँव के पूरब मे
 
बसा है सूर्यवंशियों का गाँव
 
खीवणसर"
 
मेरे गाँव की ढलती सांझ
 
होता है सूर्यास्त
 
सोहनी राग
 
ओजपुर्ण काव्य
 
महापुरुषों की
 
शौर्य गाथा के साथ
 
मेरे गाँव के पश्चिम मे जो
 
बसा है राज दरबारी
 
चारणों का गाँव
 
बरलाजसर
 
मेरे गाँव का दक्षिण
 
धन धान्य से पुर्ण
 
धरतीपुत्र
 
दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव
 
कामासर
 
जिनके भामाशाह पुरखों ने
 
रखी थी नीव
 
मेरे गाँव की
 
मेरे गाँव के उत्तर मे
 
बसा मुस्लिमो का गाँव
 
कालुसर"
 
अल्लाह को समर्पित
 
एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की
 
इबादत
 
ठेठ मका और मदीना तक
 
गुंजायमान है
 
और
 
मध्य मे बसा
 
मेरा गाँव
 
अर्थात्
 
ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः
 
वैदिक धर्म वेदपाठी
 
ब्राह्मण बाहुल्य
 
अंतिम सत्य, ईश्वर
 
परम ज्ञान को प्राप्त
 
पुलासर
 
जिनका मध्य
 
और पंचकोसी
 
उपवन
 
राज मिस्त्री
 
बागवान कारीगर
 
चर्मकार,काष्ठकार
 
स्वर्णकार और
 
नानाप्रकार
 
विविध शिल्पकारों से
 
सुसजित
 
शौभायमान विलक्षण
 
और अद्भुत है
 
ग्राम देवता
 
बलिदानी दादोजी
 
उगोजी महाराज का
 
प्रतापी ग्राम पुलासर
 
अतिशय पुनीत
 
लोकातीत और निरुपम है
 
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जै दादोजी महाराज
 
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मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार
 
पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान