1,997 bytes added,
04:02, 15 फ़रवरी 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रश्मि विभा त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
<poem>
तुमने मला
मेरे माथे पर जो
दुआ का लेप
मिट गई थकन
मेरा ये मन
अचानक उछला
छोटे बच्चे- सा
छूने को आसमान
बढ़ने लगा
मुझमें धरती- सा
बड़ा हौसला
कोई भी ओर- छोर
जिसका नहीं,
अब राह में कहीं
आँधी- तूफान
मेरी घेराबन्दी को
आ भी गए तो
क्या बिगाड़ेंगे भला
हाथ जोड़के
मेरे सामने बला
खड़ी हो गई
बनकर बेचारी,
जिसने मुझे
पल- पल पे छला
तुम्हारे आगे
लेकिन कहाँ वश
उसका चला
बुरी तरह हारी
'''सुरक्षित हूँ'''
'''मैं सीप में मोती- सी'''
'''बाँध लेता है'''
'''तुम्हारा आलिंगन'''
और देता है
'''मुझे नया स्पन्दन'''
'''आकरके मैं'''
'''तुममें छिप जाती'''
'''तब मैं पाती'''
'''एक और जीवन।'''
सच बताऊँ-
मेरी प्राणवायु है
तुम्हारी छाती
आज की दुनिया में
मीत कहाँ है
किसी के पास अब
तुम्हारे जैसी
प्रेम में सब कुछ
लुटा देने की
यह दुर्लभ कला
देखकरके
तुम्हारा सच्चा भाव
भर आया है गला।
-0-
</poem>