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तुम्हारे हाथ / नाज़िम हिक़मत

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सफ़ेद मेज़पोश से ढकी मेज़ पर
एक बार भी मन भर के खाए बग़ैर
छोड़ देते हो तुम यह दुनियाँओंदुनिया
और इस दुनिया के फलों से लदे वृक्षों को
आह ! मेरे लोगो !आह ! मेरे लोगो !ख़ासकर एशियाई लोगो,अफ़्रीकी लोगो,पश्चिमी एशिया के लोगो,मेरे अपने देश के लोगो,जो कुल मानवजाति के सत्तर फ़ीसदी से भी ज़्यादा हैं इस पृथ्वी परतुम अनुभवी और कर्मरत हो,घिसे हुए हो अपने हाथों की तरहअब भी उन्हीं की तरह जिज्ञासु, उत्साही और तर-ओ-ताज़ा युवा हो आह ! लोगो !आह ! मेरे लोगो ...! मेरे यूरोप के लोगो !मेरे अमेरिका के लोगो !तुम चौकस हो,तुम हिम्मती हो,फिर भी अपने हाथों की तरह खोए हुएफिर भी तुम्हारे हाथों की तरह तुम्हें बेवकूफ़ बनाया जाता हैफिर भी तुम्हें धोखा दिया जाता है अगर किसी मनहूस दिन के बादरात में चाँद झूठ बोलता हैअगर अलफ़ाज़ झूठ बोलते हैंअगर आवाज़ें झूठ बोलती हैंअगर रंग झूठ बोलते हैंआह, मेरे लोग, मेरे लोग ! अगर एरियल झूठ बोलते हैंअगर इश्तिहार दीवालों के झूठ बोलते हैंअगर अख़बार झूठ बोलते हैंअगर छापाख़ाने झूठ बोलते हैंअगर सफ़ेद परदों पर थिरकते हुएलड़कियों के नंगे पाँव झूठ बोलते हैं अगर प्रार्थनाएँ झूठ बोलती हैंअगर सपने झूठ बोलते हैंअगर लोरियाँ झूठ बोलती हैंअगर शराबघर का संगीत झूठ बोलता हैअगर वे सारे के सारे लोगजो तुम्हारे हाथों की मेहनत का शोषण करते हैंऔर सबकुछ और हर कोई झूठ बोलता हैसिर्फ़ तुम्हारे हाथों को छोड़कर ये सब तुम्हारे हाथों कोमिट्टी के लोन्दे की तरह दब्बूअन्धकार की तरह अन्धाऔर गडरिये के कुत्ते की तरहगावदी बनाने के लिए हैइसलिए कि उन्हें बग़ावत से दूर रखा जा सकेइसलिए कि वे हाथ कहींमुद्रा हड़पनेवालों के राज़और उनके अत्याचारों और दमन का ख़ात्मा न कर डालें जहाँ हमारा बसेरा हैइस अनित्य और अद्भुत्त दुनिया मेंसिर्फ़ चन्द दिनों के लिए ।
</poem>
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