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तुम्हारे हाथ / नाज़िम हिक़मत

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इस अनित्य और अद्भुत्त दुनिया में
सिर्फ़ चन्द दिनों के लिए ।
 
यह कविता 1978-79 में सबसे पहले हिरावल समूह की पत्रिका ’हिरावल’ में प्रकाशित हुई थी। कविता के साथ मौरीन स्कॉट के बनाए हुए चित्र भी प्रकाशित हुए थे। लेकिन हिन्दी में इस कविता का अनुवाद किसने किया था, यह नहीं लिखा था। बाद में कामगार प्रकाशन ने ’हिरावल’ से इसे उठाकर उन चित्रों के साथ अलग से एक कितबिया के रूप में प्रकाशित किया। अगर किसी पाठक को यह मालूम हो कि इस कविता का यह अनुवाद किसने किया है, तो ’कविता कोश’ बेहद आभारी रहेगा।
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