भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद शर्मा 'असर' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रमोद शर्मा 'असर'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
राजा मज़े में है न रिआया मज़े में है ।
जो है तेरी पनाह में बंदा मज़े में है ।।

हो कर जुदा भटकता फिरा जो यहाँ-वहाँ ,
दरिया से मिल के आज वो क़तरा मज़े में है ।

दुनिया की साज़िशों से परेशान था बहुत,
दिल मेरा अब फ़क़ीर सा तनहा मज़े में है ।

महसूस जब किया कि ख़ुदा ही है नाख़ुदा,
हम क्या हमारे साथ सफ़ीना मज़े में है ।

बादल की मिन्नतों से मयस्सर न होगा कुछ,
आते ही इस ख़याल के सहरा मज़े में है ।

ग़ाफ़िल ही रहने देना उसे असलियत से तुम,
पूछे जो मेरा हाल तो कहना मज़े में है ।

पहुँचा के सबको मंज़िल-ए-मक़सूद पर 'असर',
अपनी जगह पे रह के भी रस्ता मज़े में है ।
</poem>