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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रमोद शर्मा 'असर'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हमारे दम में जब तक दम रहेगा,
वतन ऊँचा तेरा परचम रहेगा।
तेरी ख़ातिर अगर जां दे न पाएँ,
हमें ता-उम्र इसका ग़म रहेगा।
मिलें दोनों जहां बदले में तो भी,
मेरा बस तू ही तू हमदम रहेगा।
किसी के सामने झुकता नहीं जो,
वो सर सजदे में तेरे ख़म रहेगा ।
सबक़ सिखलाएँगे दुश्मन को ऐसा,
सदा उसके यहाँ मातम रहेगा ।
तेरी अज़्मत का हो कितना भी चर्चा,
मेरे नज़दीक लेकिन कम रहेगा ।
तेरे शैदाई तुझ पर जान देंगे,
'असर' ये सिलसिला पैहम रहेगा ।
</poem>
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|रचनाकार=प्रमोद शर्मा 'असर'
|अनुवादक=
|संग्रह=
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हमारे दम में जब तक दम रहेगा,
वतन ऊँचा तेरा परचम रहेगा।
तेरी ख़ातिर अगर जां दे न पाएँ,
हमें ता-उम्र इसका ग़म रहेगा।
मिलें दोनों जहां बदले में तो भी,
मेरा बस तू ही तू हमदम रहेगा।
किसी के सामने झुकता नहीं जो,
वो सर सजदे में तेरे ख़म रहेगा ।
सबक़ सिखलाएँगे दुश्मन को ऐसा,
सदा उसके यहाँ मातम रहेगा ।
तेरी अज़्मत का हो कितना भी चर्चा,
मेरे नज़दीक लेकिन कम रहेगा ।
तेरे शैदाई तुझ पर जान देंगे,
'असर' ये सिलसिला पैहम रहेगा ।
</poem>