682 bytes added,
18:35, 17 मई 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमल जीत चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पाप्पी जी !!
पाप्पी* जी !!
पक्षियों को पिंजरे में बन्द नहीं करना चाहिए
वे रोते हैं
परेशान होते हैं
...
आपको कैसे पता !!
जब मम्मा मेरा दरवाज़ा बन्द कर देती है
तो मैं परेशान हो जाता हूँ ...
शब्दार्थ :
पाप्पी - पिता
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader