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{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=मोहन थपलियाल
|संग्रह=इकहत्तर कविताएँ और तीस छोटी कहानियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
}}
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<poem>
वोल्गा को पालतू बनाना
इतना आसान काम नहीं होगा,
मैं पढ़ता हूँ

वह अपनी बेटियों — अका, कामा उंझा और यातुगा
को मदद के लिए बुला लेगी
अपनी पोतियों चुसावया और व्यात्का को भी
वह अपनी सारी ताक़त बुला लेगी
सात हज़ार सहायक नदियों के जल-प्रवाह के साथ
प्रचण्ड आक्रोश में वह ध्वस्त कर देगी स्तालिनग्राद के बाँध को
आविष्कारों के फरिश्ते और ग्रीक आडिसस की
धूर्त चालबाज़ी की तरह
वह हर छिद्र का इस्तेमाल करेगी
दाएँ और बाएँ दोनों बाजुओं को पाटते हुए
और ज़मीन के नीचे भी सब कुछ रौंदते हुए
लेकिन मैं पढ़ता हूँ
कि रूसी लोग जो उसे प्यार करते हैं
उसके गीत गाते हैं
हाल ही में उसे जान सके हैं
और 1958 के आने तक
उसे पालतू बना देंगे
और फिर कास्पियन मैदानों के काली मिट्टीवाले खेत
और बंजर जो कि उसके सौतेले बच्चे रहे हैं
उन्हें रोटी का इनाम देंगे।

(1953)

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल'''
</poem>
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